सारंगढ़

सड़क से संसद तक गुंजेगी अभ्यारणवासियों की आवाज- रामकुमार…

सारंगढ़। गोमर्डा अभ्यारण क्षेत्र की समस्याओं को लेकर हमेशा मुखर रहने वाले सालर कनकबीरा अंचल में सरस्वती शिशु मंदिर में आचार्य प्रधानाचार्य के रूप में छात्रों एवं पालकों के बीच लोकप्रिय रहे साथ ही एक पत्रकार के रूप में भी सारंगढ़ विधानसभा की जन समस्याओं को प्रमुखता से विभिन्न अखबारों के माध्यम से शासन प्रशासन तक लोगों की आवाज बनकर समस्या के निदान तक अपनी लेखनी की ताकत से अंजाम तक पहुंचाने वाले रामकुमार थुरिया जो वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी सालर मल्दा ब के महामंत्री के रूप में भाजपा संगठन के दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं इन दिनों 9 सूत्रीय मांगों को लेकर अपने पार्टी के बैनर तले 28 गांव के लोगों के हित में लड़ाई की शुरूवात अभ्यारणवासियों के साथ मिलकर 31 जनवरी को धरना प्रदर्शन एवं चक्का जाम से कर रहे हैं जो अभ्यारणवासियों की आवाज को सड़क से संसद तक गुंजाने के लिए गांव गांव में जाकर लोगों से अपने हक अधिकार की लड़ाई में शामिल होने की अपील कर रहे हैं
उन्होने जानकारी देते हुए बताया कि किसान परिवार अपने विपरीत परिस्थति में आर्थिक आवश्यकता पड़ने पर जैसे – शादी विवाह एवं गंभीर बीमारी में अपने हक की निजी जमीन का विक्रय करते हैं किन्तु 28 गांव में वर्ष 1996 से क्रय विक्रय का पंजीयन न होने से किसानों को संकट की स्थिति में अचल संपत्ति भी काम नही आ रही है जिससे किसान परेशान हैं। वहीं इन 28 गांव में लगभग 32 सौ परिवार निवासरत हैं इन परिवारों को वन विभाग द्वारा तेन्दुपत्ता संग्रहण का लाभ नही दिया जाता है इससे अभ्यारण के लोग शासकीय योजना से मिलने वाले लाभ से वंचित हो रहे हैं पूर्व में इसकी छतिपूर्ती राशि 2000 रूपये दी जा रही थी जो वर्ष 2018 से अब तक छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा नही दी जा रही है जिसके लिए प्रत्येक परिवार को 10000-10000 हजार रूपये छतिपूर्ति राशि दिये जाने की मांग की है
गोमर्डा अभ्यारण के सभी 28 गांव घने जंगलों से चारों तरफ से घिरी हुई है बरसात के दिनों में वन्य जीवों का खतरा स्कूली बच्चों पर बनी रहती है जिसकी वजह से हमारे आदिवासी समुदाय की बेटियां 5वीं 8वीं के बाद आगे की पढ़ाई नही कर पा रही हैं आवागमन की असुविधा एवं घने जंगलों की वजह से आगे की पढ़ाई प्रभावित हो रही है अतः बेटियों को पढ़ाई की सुविधा मिले इस हेतु पोस्ट मेट्रिक कन्या छात्रावास की स्थापना कनकबीरा में की जावे।
ग्राम कनकबीरा में वर्ष 2018 में अभ्यारण अंचल में नक्सल गतिविधी बढ़ने की वजह से पुलिस चौकी स्थापित की गई है जो अब तक सामुदायिक भवन पर ही संचालित की जा रही है भूमि आबंटित नही होने से भवन निर्माण की प्रक्रिया अटकी हुई है चूंकि कनकबीरा अभ्यारण क्षेत्र के अंतर्गत आता है जहां राजस्व की बड़े झाड़ मद की भूमि ही उपलब्ध हैं अतः मद परिवर्तन कर पुलिस विभाग को भूमि आबंटित किया जाकर बजट दी जावे।
अभ्यारण क्षेत्र में एक मात्र प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कनकबीरा है जहां लम्बे समय बाद भी एमबीबीएस डाक्टर की पदस्थापना नही की गई है स्थानीय लोगों को बेहतर चिकित्सा लाभ के साथ ही पुलिस चौकी कनकबीरा में लड़ाई झगड़े के प्रकरण आते रहते हैं जिनके मुलाहिजा हेतु सारंगढ़ जाना पड़ता है अतः प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कनकबीरा में एमबीबीएस डाक्टर की नियुक्ति किया जावे
अभ्यारण के किसानों का फसल प्रति वर्ष वन्य जीव – बायसन, जंगली सुअर, नीलगाय, शाम्हर द्वारा धान व दलहन तिलहन फसलों को नुकसान पहुंचाया जाता है लेकिन आज तक वन विभाग द्वारा ऐसे प्रकरण दर्ज कर किसी एक किसान को भी मुआवजा लाभ नही दिलाया जा रहा है जबकि प्रत्येक गांव के किसान जंगली जानवरों से चराई कर दिये जाने से फसलों का नुकशान सहन कर रहे हैं वहीं बंदरों के द्वारा घरों के छप्पर में दौड़ने से छतिग्रस्त हो रहा है इस पर भी मुुआवजा का प्रावधान कर अभ्यारण के निवासियों को लाभ दिया जावे।
गोमर्डा अभ्यारण के दमदरहा टमटोरा भांटाकोना बेरियर में अभ्यारणवासियों के सामाजिक एवं धार्मिक कार्यक्रमों में मेहमान के रूप में चार पहिया वाहनों से आने पर बेरियर कर्मचारियों द्वारा पर्यटन शुल्क लिया जाता है जो सर्वथा गलत एवं अमानवीय है अतः 28 गांव के किसी भी परिवार में आने जाने वाले मेहमान से शुल्क न लिया जावे।
गोमर्डा अभ्यारण के घने जंगल के बीच स्थित ग्राम खम्हारपाली में किसी भी कम्पनी का मोबाईल नेटवर्क नही होने से स्थानीय लोगों को खाद्यान्न वितरण प्रणाली के तहत इपोस मशीन के माध्यम से चावल उठाव करने में भारी दिक्कतों के साथ ही मोबाईल के माध्यम से अन्य कनेक्टीविटी संचार माध्यम से नही हो पाता है वहीं ग्राम अचानकपाली में भी मोबाईल नेटवर्क नही पहुंचने से स्थानीय लोगों को परेशानी उठाना पड़ता है अतः उक्त दोनों गांव में टावर स्थापित किया जावे।
गोमर्डा अभ्यारण के ग्राम पंचायत कनकबीरा के आश्रित ग्राम नरगीखोल हेतु आज तक पहंुच मार्ग सुगम नही है यहां के लोगों को बरसात के 4 महिने तक नाला तैर कर आना जाना पड़ता है बच्चों की पढ़ाई लिखाई के साथ ही गम्भीर बिमारियों की स्थिति में खाट अथवा टीव के माध्यम से इलाज हेतु मुख्य सड़क तक लाया जाता है अतः ग्रामीणों की सुविधा हेतु पुलिया निर्माण किया जावे। ये 9 सूत्रीय मांग हैं जिसका अभ्यारण के लोगों के लिए पूरा होना एक पूराने घाव के भरने के समान है इसलिए प्रशासन एवं सरकार इसे गंभीरता से विचार कर निदान का प्रयास करे।

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