खाने के तेल के दामों में आ सकती है भारी कमी ! 50% तक घट सकते हैं खाने के तेल के दाम! इस वजह से आ सकती है कीमतों में बड़ी गिरावट..

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इस त्योहारों के सीजन में खाने के तेल के दामों में भारी कमी आ सकती है। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में खाने के तेल के दामों में गिरावट आई है। पाम ऑयल के दाम एक साल के निचले स्तरों पर जा लुढ़का है। वैश्विक मंदी के आहट के चलते सोयाबीन, सीपीओ, पामोलिन और सूरजमुखी की कीमतें लगभग आधे से भी कम हो गई है। दूसरी ओर, सोयाबीन की नयी फसल की छिटपुट आवक भी शुरू हो गयी है जिससे इसकी कीमतों पर असर पड़ा है।

विदेशी बाजारों में मंदी का असर सभी कमोडिटी के दामों पर पड़ रहा है जिसमें खाने के तेल के दाम भी शामिल है। विदेशी बाजारों में गिरावट के बाद स्थानीय बाजारों में तेल-तिलहन के दामों पर पड़ा है। विदेशी बाजारों में नरमी के चलते दिल्ली बाजार में सोमवार को लगभग सभी तेल-तिलहन की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है। मलेशिया एक्सचेंज में सोमवार को 5.25 प्रतिशत की बड़ी गिरावट देखी गयी। वहीं शिकॉगो एक्सचेंज भी एक प्रतिशत कमजोर है।

सभी तेल-तिलहन कीमतों में भारी गिरावट के बावजूद तेल कंपनियों के एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) ऊंचे बने हुए हैं। लगभग चार महीने पहले 2,100 डॉलर प्रति टन कांडला पामोलिन का भाव गिरकर 950 डॉलर प्रति टन रह गया है। इसके बावजूद खुदरा कारोबारियों द्वारा मनमानी कीमत लेने से उपभोक्ताओं को गिरावट का बिल्कुल भी लाभ नहीं मिल पा रहा है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाम ऑयल की कीमतों में भारी गिरावट के बाद भारत ने अगस्त महीने में रिकॉर्ड पाम ऑयल का आयात किया है। जुलाई महीने के मुकाबले अगस्त 2022 में पाम आयल के आयात में 87 फीसदी का उछाल आया है जो कि 11 महीने में सबसे अधिक है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाम ऑयल के दाम एक साल के निचले स्तर पर आ चुका है।

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