बलौदाबाजार आगजनी कांड पर सदन में हंगामा, 30 कांग्रेस विधायक निलंबित…

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रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में मानसून सत्र के पहले दिन विपक्षी कांग्रेस के विधायकों ने बलौदाबाजार आगजनी कांड को लेकर हंगामा मचाया। प्रश्नकाल के तुरंत बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्थगन प्रस्ताव लाकर इस घटना पर चर्चा कराने की मांग की। इस पर सत्तापक्ष भाजपा के विधायक अजय चंद्राकर ने आपत्ति जताई कि इस मामले में न्यायिक जांच चल रही है।

नियमानुसार सदन में इस विषय पर चर्चा नहीं की जा सकती है। विपक्ष ने कहा कि कलेक्टर-एसपी कार्यालय जलाने की इस तरह की घटना अंग्रेजों में जमाने में नहीं हुई है। विष्णु के सुशासन की कलई खुल गई। सूचना तंत्र पूरी तरह से विफल रहा। विपक्ष ने आरोप लगाया कि इस घटना के पीछे षड्यंत्र है इसके लिए इस पर चर्चा होनी चाहिए। स्थगन प्रस्ताव की ग्राह्यता पर चर्चा के दौरान पक्ष-विपक्ष में तीखी नोक-झोंक हुई।

विधानसभा अध्यक्ष डा. रमन सिंह के स्थगन को अग्राह्य करते ही विपक्ष ने नारेबाजी करते हुए मुख्यमंत्री और गृह मंत्री के इस्तीफे की मांग की। विपक्ष के नारेबाजी और हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही दोपहर तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर विपक्ष ने सदन में सरकार विरोधी नारे लगाए। हंगामे के बीच कांग्रेस के 30 विधायक गर्भगृह पहुंचे और स्वमेव निलंबित हो गए।

आस्था के प्रतीक को तोड़ने का प्रयास: महंत

नेता-प्रतिपक्ष डा. चरण दास महंत ने कहा कि छत्तीसगढ़ की आस्था, प्रतीक को तोड़ने का काम किया है। प्रदेश की समरसता और भाईचारा को खत्म करने का षडयंत्र हुआ है।

आक्रोश कम हो सकता था: भूपेश

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि 15 मई से 10 जून तक का वक़्त बड़ा होता है। समाज के आक्रोश को कम किया जा सकता था। कलेक्ट्रेट में ज्ञापन लेने वाले अधिकारी तक नहीं थे। ये घटना एक धब्बा है। अब पुलिस दुर्भावना से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई कर रही है।

दोषियों पर कार्रवाई हो रही है: गृह मंत्री

गृहमंत्री विजय शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि यह कहना गलत कि अमरगुफा घटना पर कार्रवाई नहीं हुई। यह भी कहना गलत कि ज्ञापन लेने अधिकारी मौजूद नहीं थे। 40 पुलिस कर्मचारी घायल हुए, 14 केस दर्ज हुए हैं। दोषियों पर कार्रवाई जारी है।.

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