सारंगढ़: पलकों के पक्षाघात (प्टोसिस) का सफल उपचार चिरायु से हुआ संभव.. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ निराला के कुशल नेतृत्व में चिरायु टीम निरंतर प्राप्त कर रही है सफलता…

सारंगढ़-बिलाईगढ़, कलेक्टर डॉ फरिहा आलम सिद्दीकी की मार्गदर्शन एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ निराला के कुशल नेतृत्व में चिरायु टीम निरंतर सफलता प्राप्त कर रही है। ऐसे ही चिरायु टीम सारंगढ़ के द्वारा अपने दैनिक स्वास्थ्य परीक्षण कार्यक्रम के दौरान बैगीनडीह निवासी बालक द्रुप निषाद उम्र 8 वर्ष जो पलकों के पक्षाघात जिसे चिकित्सकीय भाषा में प्टोसिस कहते हैं, इसमें पलक आंशिक या पूरी तरह से आंख को ढंक लेते हैं। जिससे देखने में समस्या होती है, लगभग आंख बंद सा दिखता है और देखने में असहज भी लगता है। जिसका एक मात्र ईलाज ऑपरेशन ही है जिसे ऑफथैलमिक सर्जन ऑपरेशन के माध्यम से ठीक करते हैं। चिरायु टीम अपने इस चिन्हित बच्चे को जांच व पहचान से लेकर इलाज व ऑपरेशन तक पूरी तरह से सम्पर्क में रहकर गाइड करता है और इलाज हेतु प्रेरित व सहयोग करता है। इस बच्चे का ऑपरेशन भाटिया नेत्रालय भिलाई में 8 अगस्त 2023 को ऑफथैलमिक सर्जन के द्वारा किया गया जो पूरी तरह निःशुल्क हुआ है। बच्चा अब पहले से बेहद स्वस्थ अनुभव कर रहा है। परिजन भी अपने गाइड चिरायु टीम व डॉक्टर की भूरी-भूरी प्रशंसा कर रही है साथ ही सरकार की इस योजना के लिए आभार प्रकट की हैं। जिला कार्यक्रम प्रबन्धक श्री एन एल इजारदार, खण्ड चिकित्सा अधिकारी डॉ सिदार, जिला नोडल (चिरायु) डॉ पी डी खरे, चिरायु टीम के डॉ नम्रता, डॉ प्रभा, डॉ गौरी जायसवाल, ललिता (ए एन एम) के विशेष सहयोग से इस चिन्हित बच्चे का सफल जांच व इलाज हो सका है।
उल्लेखनीय है कि जिले में संचालित चिरायु टीम के माध्यम से समस्त आंगनबाड़ी केंद्रों व शासकीय स्कूलों में स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है। पूरे सत्र में स्कूल के बच्चों का 1 बार और आंगनबाड़ी के बच्चों का 2 बार पूरे बीमारियों को 4 वर्गों में विभाजित कर इलाज हेतु चिन्हित कर उनको निःशुल्क स्वास्थ्य लाभ प्रदाय चिरायु टीम करती है। इस कार्य में स्वास्थ्य विभाग के साथ ही साथ शिक्षा विभाग, महिला बाल विकास, पंचायत विभाग का अहम योगदान रहता है।
चिरायु टीम 4 डी’स ( डिफेक्ट्स – जन्मजात विकार, डिजीज – बीमारियां, डेफिशिएंसी – कमी से होने वाले विकार तथा डेवलपमेंटल डिले – विकास संबंधी देरी और विकलांगता) के ऊपर अपना काम करती है। इनके इलाज हेतु प्रथम वर्ग के लिए – जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज, पी जी आई तथा एम्स आदि प्रमुख संस्थानों में व्यवस्था है। द्वितीय वर्ग के लिए – सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला अस्पताल स्तर पर व्यवस्था है। तृतीय वर्ग के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, पोषण पुनर्वास केंद्र स्तर पर व्यवस्था है और चतुर्थ वर्ग के लिए जिला अस्पताल व शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र “जतन” स्तर पर इलाज की व्यवस्था है।
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