श्री राधाकृष्ण हॉस्पिटल सारंगढ़..में आरंभ हुआ ..पंचकर्म द्वारा लकवा ग्रस्त मरीजों का इलाज…हॉस्पिटल के संचालक आयुर्वेदाचार्य डॉ,निधू साहू जी के द्वारा…शिरोधारा पद्धति से मरीज को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाया गया…

क्या होता है शिरोधारा पद्धितीशिरोधारा, दो शब्दों से मिलकर बना है शिरो, अर्थात सिर और धारा अर्थात प्रवाह या धार । शिरोधारा , पंचकर्म की शुद्धीकरण चिकित्सा में सबसे ज्यादा असरदार और तरोताजा करने वाली पद्धति में से एक हैं यह बेहद आराम पहुंचाने वाली पद्धति है। जो शारीरिक और मानसिक तनाव व थकान बहुत जल्द दूर करती हैं, लकवा ग्रस्त मरीज के सिर के नस में खून का जमाव होने से मरीज मानसिक एवं शारीरिक रूप से अस्वस्थ हो जाता है जिसके कारण हाथ पांव में रक्त संचार रुकने लगता है जिसका शिरोधारा पद्धति से उस शिर के दबे हुए नस में एक निश्चित गति से तेल की धारा को नस में प्रवाहित किया जाता है जिससे उस नस में जमे हुए खून के थक्के पिघलने लगते हैं नस में पहले जैसा रक्त संचार शुरू होने लगता है जिसके कारण मरीज इस पद्धति से पूर्ण स्वस्थ हो जाता है और पहले जैसा तरोताजा महसूस करने लगता है पहले जैसा सोचने लगता है पहले जैसा कार्य कर सकता है इस पद्धति से मानसिक तनाव से मरीज बहुत दूर हो जाता है और शारीरिक दुर्बलता भी पूर्ण रूप से खत्म हो जाती है।
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