रायगढ़ टाईम्स विशेष

टीके पर भरोसे की कहानी-सपरिवार पॉजिटिव हुए, बावजूद इसके वृद्ध पाण्डेय दंपत्ति ने वैक्सीन पर भरोसे व मन के हौसलों से दी कोरोना को मात….

जगन्नाथ बैरागी

रायगढ़, हार और जीत इच्छाशक्ति से तय होती है और यदि कोरोना से लड़ाई में जीत के लिए मन में सकारात्मक सोच और हौसला हो तो कठिन से कठिन हालात भी घुटने टेक देते हैं। लेकिन हताशा के इस दौर में जब पूरा परिवार कोरोना पॉजिटिव हो जाए, तो मनोबल बनाए रखना इतना आसान नही होता। 67 वर्षीया श्रीमती राधा पाण्डेय व 84 वर्षीय श्री रामजी पाण्डेय के मन के अन्तद्र्वन्द व कोरोना पर जीत की कहानी कुछ अलहदा है। कोरोना वेक्सीन के दोनों डोज कम्प्लीट करने के बावजूद जब पाण्डेय दम्पत्ति पूरे परिवार सहित कोरोना पॉजिटिव हुए तो उन्हें लगे दो डोज वेक्सीन के प्रति उनके भरोसे, भीतर के हौसले और जीवन के प्रति उम्मीदों ने कोरोना को चारों खाने चित कर दिखाया।

क्या कहना है पाण्डेय दम्पत्ति का, उनकी कहानी उनकी जुबानी..

श्रीमति पाण्डेय बताती हैं जीवन में हताशा के दौर में अगर पूरा परिवार कोरोना पॉजिटिव हो जाए तो, मन पर क्या बीतती है, ये हमने बखूबी महसूस किया। खासकर ऐसे समय में जब लोग कहते है कि, इसकी दवाई नहीं, इलाज नहीं और ऐसे में पूरा परिवार संक्रमित हो जाएं, जब कोई अपना भी पास आने से भी कतराने लगे तो ऐसे में कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगाने के बाद भी जब कोरोना टेस्ट की आरटीपीसीआर रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो पहले हम थोड़ा घबरा गए। लेकिन हमने हिम्मत नहीं हारी। मैं, मेरे पति और साथ में परिवार में मेरी छोटी बहू, 2 पोती, 1 बेटे सहित हम 6 लोग कोरोना की चपेट में थे। हैरान थे कि इतना अधिक केयरफुल रहने के बावजूद भी पूरा परिवार कैसे कोरोना की चपेट में आ गया। यह स्थिति हमारे लिए बिल्कुल भी आसान नहीं थी। एक ओर हमें खुद को शारीरिक रूप से स्वस्थ रखना था, वहीं घर के मुखिया होने की हैसियत से हमे स्वयं भी और परिवार में सभी को मानसिक रूप से मोटिवेटेड और सबल बनाए रखने की महती जिम्मेदारी थी। लेकिन हमने इस स्थिति को भी स्वीकार किया और पूरे परिवार ने हिम्मत के साथ कोरोना का सामना किया। इस दौरान हम सब ने यह महसूस किया कि, हमारे आसपास व हमारे मन के भीतर कोई तो एक अलौकिक ऊर्जा है, जो आपस में हम सबको बांधे हुए हैं। मैं और मेरे पति बीपी के मरीज हैं। वैक्सीन के दो डोज लगाने के बाद भी दोनों संक्रमित होने पर भी, हमने पूरे हौसले के साथ होम क्वॉरेंटाइन को प्राथमिकता दी। पति व अन्य सदस्यों ने घर में ही रह कर सुरक्षित तरीके से तेजी से रिकवरी किया। मुझे लगातार 7 दिन तक फीवर रहा। होम क्वारेन्टीन के दौरान मेरा बीपी, पल्स रेट थोड़ा बढ़ गया और मेरा एसपीओ 2 लेवल 90 से 94 के बीच आ रहा था। मेरे दोनों बेटे आलोक और अमित ने तुरन्त चिकित्सकीय परामर्श के बाद मुझे एहतियातन अस्पताल में एडमिट कर दिया। इलाज के दौरान डॉक्टर लगातार मुझे प्रोत्साहित करते रहे। उनके उत्साहवर्धन और इलाज की वजह से मैं 3 दिन में ही रिकव्हर होकर घर वापस आ गई। इस दौरान हमेशा यह बात मेरे दिमाग में थी कि, स्वयं का आत्मविश्वास, हौसला और पॉजिटिव एटीट्यूड कोरोना से लडऩे की अचूक औषधि है। कोरोना से डरने की नहीं बल्कि, इससे इसके प्रति सतर्क रहने और हिम्मत दिखाने की जरूरत है। मौजूदा माहौल में नकारात्मक बातों से परहेज करने की जरूरत है। लगातार सकारात्मक रहने और जीवन के उन अनमोल क्षणों को याद करने की दरकार है, जो जिंदगी में उमंग, उम्मीदों और हौसले का संचार करते हैं। बस मन के अपने इसी पॉजिटिव अप्रोच के बल पर पूरे परिवार ने कोरोना पर जीत दर्ज की और आज हम सब स्वस्थ व सकुशल साथ हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *