शासकीय स्कूल के प्राचार्य लर लगा फर्जी बिल लगाकर लाखों रुपये का आहरण करने का आरोप…सात लाख रुपये का फर्नीचर समान बना कबाड़…

मनोज अग्रवाल
जैजैपुर/ विकास खण्ड जैजैपुर अंतर्गत शासकीय हाई स्कूल करही के प्रभारी प्राचार्य के द्वारा शासकीय राशि का गबन करने के आरोप लगा है सूचना के अधिकार से मिली जानकारी के अनुसार बिना जीएसटी बिल लगाकर दो लाख दो सौ रुपये का बिना जीएसटी लगाए शासकीय राशि का आहरण कर गबन किये जाने का आरोप लगा है । प्रभारी प्राचार्य के पद में रहते हुए पद का दुरूपयोग करते हुए अनेको फर्जी बिल बनवाकर लाखो रुपये का गबन किये गए है शासकीय राशि का भारी अनिमियताओं को लेकर गम्भीर आरोप लगाते हुए जाँच की माँग की है।
हाई स्कूल करही के प्रभारी प्राचार्य ने फर्जी बिल बनवा कर रमसा योजना की राशि का गबन किये जाने का स्पष्ट सूचना के अधिकार से मिली जानकारी के अनुसार जीएसटी बिल नही लगा है बल्कि बिना जीएसटी बिल लगाकर लाखो रुपये का विभिन्न दुकान का बिल लगाकर दो लाख दो सौ रुपये आहरण कर शासकीय राशि का गबन करने का आरोप लगा है बरहाल जो भी हो जाच की विषय है
वही ग्रामीणों का कहना है कि अनेक बार शिकायते करते हो गए पर आज तक जाँच नही हुई हम लोग परेशान हो चुके अब तो जिला प्रशासन से हम लोग तो उम्मीद ही छोड़ चुके है कहाँ जाए किससे मिले जिससे भ्रष्टा और भ्रष्टाचार की जांच हो सकें।
7 लाख 36 हजार की फर्नीचर समान बना कबाड़
आपको बता दे कि नियमो को ताक में रखकर प्रभारी प्राचार्य ने 7 लाख 36 हजार रुपये का फर्नीचर समान जनवरी 21 में खरीददारी की गई है लेकिन स्कूल समिति के अध्यक्ष और सदस्यों को हवा तक नही लगी न ही अनुमोदन लिया गया और न ही स्टॉप के शिक्षकों तक को पता नही चला इतने शातिर प्राचार्य ने यही बोला कि ऊपर से फर्नीचर समान आया है और फर्नीचर समान की भुगतान प्राचार्य ने किया है मिली जानकारी के अनुसार डीईओ जांजगीर और प्रभारी प्राचार्य के मिलीभगत से बिना आवश्यकता के शासकीय राशि का दुरूपयोग किये गए है और सभी फर्नीचर समान को एक कमरे में कबाड़ की तरह भर दिए है जिस कमरे में विद्यार्थियों को बैठाकर पढ़ाई करवाना था उस कमरे में फर्नीचर समान कबाड़ की तरह पड़ा हुआ है
हाई स्कूल में विद्यार्थियों के लिए शौचालय का अभाव
आपको बता दे कि हाई स्कूल के छात्र छात्राओं को शौचालय जाने के लिए भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है एक शौचालय बना है वह भी जर्जर हो गया है शौचालय को मरामम्त करवाने की आवश्यकता है जी हां जरा सोचने वाली बात है अगर लाखो रुपये का बिना काम की फर्नीचर समान खरीदी नही की होती तो यह राशि छोटी छोटी विद्यार्थियों की आवश्यकता की पूर्ति की जा सकती है लेकिन क्या करे कमीशन भी चाहिए था डीईओ जांजगीर और प्रभारी प्राचार्य हाई स्कूल करही को कमीशन के आगे झुक गए है ऐसे अधिकारी विद्यार्थियों के प्रति क्या योगदान दिखाते होंगे इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है
वर्जन
बी एल खरे
जिला शिक्षा अधिकारी, बता पाएंगे क्योंकि रमसा योजना की राशि जांजगीर डीईओ की अधिकार क्षेत्र में आता है।
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