10 मई को नेशनल लोक अदालत में होंगे राजीनामा, वसूली और बिल जमा…

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सारंगढ़-बिलाईगढ़, 9 मई 2025/ राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) नई दिल्ली के निर्देशानुसार छत्तीसगढ़ राज्य में अधीनस्थ न्यायालय से उच्च न्यायालय तक के सभी न्यायालयों में आगामी द्वितीय शनिवार 10 मई को नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा, जिसमें राजीनामा योग्य प्रकरणों में पक्षकारों की आपसी सुलह समझौता से निराकृत किए जाएंगे। नेशनल लोक अदालत के संबंध में अधिक जानकारी के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यालय से सम्पर्क कर जानकारी ली जा सकती है। नेशनल लोक अदालत के संबंध में सबंधित व्यक्ति माननीय न्यायालय, राजस्व विभाग के कलेक्टर, अपर कलेक्टर, एसडीएम और तहसीलदार के माननीय न्यायालय, समस्त बैंक,
पुलिस विभाग, नगर निगम, नगरपालिका, नगर पंचायत, बीएसएनएल, विद्युत विभाग आदि के पेंडिंग कर और बिल भुगतान कर सकते हैं। नेशनल लोक अदालत में राजीनामा के आधार पर निराकरण के लिए दाण्डिक राजीनामा योग्य प्रकरण, चेक बाउन्स वाले मामले, बैंक रिकवरी अर्थात् प्री-लिटिगेशन प्रकरण, मोटरयान अधिनियम से संबंधित प्रकरण, मेन्टेनेन्स धारा के प्रकरण, परिवार न्यायालय से संबंधित प्रकरण, श्रमिक प्रकरण, जमीन विवाद प्रकरण, विद्युत प्रकरण, जलकर प्रकरण, सम्पत्ति कर, टेलीफोन प्रकरण तथा राजस्व प्रकरणों को नियत किया गया है और उपस्थित पक्षकारगण के मध्य उपजे विवाद को वैकल्पिक समाधान के तहत लोक अदालत में उनके मध्य राजीनामा की सम्भावनाओं को तलाश करते हुए निराकरण किया जाएगा।

लोक अदालत क्या है ?

लोक अदालत विवादों को सुलझाने का एक वैकल्पिक और सस्ता तरीका है, जहाँ आपसी सहमति से मामले का निपटारा किया जाता है। यह एक ऐसा मंच है जहाँ न्यायालय में लंबित या प्री-लिटिगेशन स्तर के विवादों का सौहार्दपूर्ण ढंग से समझौता किया जाता है।

लोक अदालत में, दोनों पक्ष आपसी सहमति से विवाद का निपटारा कर सकते हैं, जिससे उन्हें लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरने की आवश्यकता नहीं होती है। लोक अदालत की प्रक्रिया अनौपचारिक होती है, और पक्षकारों को वकीलों की आवश्यकता नहीं होती है।
लोक अदालत में कोई शुल्क या कोर्ट फीस नहीं देनी होती है, और यदि मामला लोक अदालत में सुलझ जाता है तो पहले से चुकाई गई कोर्ट फीस वापस मिल जाती है। लोक अदालत द्वारा दिया गया निर्णय अंतिम और सभी पक्षों पर बाध्यकारी होता है, और इसके खिलाफ किसी भी अदालत में अपील नहीं की जा सकती है। कुछ मामलों में, जैसे कि सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं से संबंधित विवादों के लिए, स्थायी लोक अदालतें स्थापित होती हैं।

प्री-लिटिगेशन स्तर पर भी आवेदन

अभी जो विवाद न्यायालय में नहीं आए हैं, उन्हें भी प्री-लिटीगेशन स्तर पर बिना मुकदमा दायर किए ही पक्षकारों की सहमति से लोक अदालत में सुलझाया जा सकता है।

लोक अदालत के लाभ

लोक अदालत विवादों को बहुत जल्दी सुलझाती है, जिससे समय की बचत होती है। लोक अदालत में कोई शुल्क नहीं देना होता है, जिससे खर्च में कमी आती है। लोक अदालत की प्रक्रिया बहुत सरल और सुलभ होती है, जिससे सभी को इसका लाभ मिल सकता है। लोक अदालत भारतीय संस्कृति में विवादों को सुलझाने के पारंपरिक तरीकों से मेल खाती है, जिससे लोगों को इसे अपनाने में आसानी होती

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