Criminal Laws Bill: इस साल के अंत तक पूरी तरह से लागू हो जाएंगे नए आपराधिक कानून, नई धाराओं में दर्ज होने लगेंगी fIR…

औपनिवेशिक कानूनों की जगह नए आपराधिक कानूनों को लागू करने की प्रक्रिया इस साल के अंत तक पूरी हो जाएगी। ये कानून अगले एक-दो महीने में अधिसूचित होते ही अमल में आने शुरू हो जाएंगे और विभिन्न अपराधों में नए कानून की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज होनी शुरू जाएगी।
इसके लिए पुलिसकर्मियों और अभियोजकों को प्रशिक्षित करने, मोबाइल फॉरेंसिक लैब उपलब्ध करने और थानों, जेलों और अदालतों को तकनीक सक्षम बनाने में एक साल का समय लग सकता है। संसद में नए कानूनों पर चर्चा के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि पूरी तरह से लागू होने के बाद भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली पूरी दुनिया में सबसे आधुनिक होगी।
कानूनों को जल्द लागू करने का काम शुरू होगा
गृह मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार नए कानूनों को जल्द से जल्द लागू करने का काम शुरू हो गया है और खुद अमित शाह ने केरल और अरुणाचल प्रदेश को छोड़कर सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात कर ली है। सभी राज्य नए आपराधिक कानूनों को लागू करने के लिए तैयार हैं। केरल और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों से भी एक-दो दिन में शाह की बात हो जाएगी।
कर्मियों को प्रशिक्षण देने की तैयारी पूरी
उनके अनुसार कानूनों को अधिसूचित करने के पहले ही इसके लिए पुलिसकर्मियों, अभियोजकों और जेल कर्मियों को प्रशिक्षण देने की तैयारी कर ली गई है। अगले एक-दो हफ्ते में इन्हें प्रशिक्षित करने वाले प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण का काम शुरू हो जाएगा। इसके तहत पूरे देश से 3000 हजार प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
प्रशिक्षण प्रक्रिया पूरी होने में लगेगा छह 6 का समय
प्रशिक्षण की प्रक्रिया पूरी होने में लगभग छह महीने का समय लग सकता है। इसके अलावा निचली अदालतों के जजों को प्रशिक्षण देने के लिए न्यायपालिका से बातचीत चल रही है। प्रशिक्षण के अलावा नए कानूनों में तकनीक को विशेष महत्व दिया गया है। इसके तहत पूरी कानूनी प्रक्रिया ऑनलाइन हो जाएगी। थानेदारों को केस में गवाही देने के लिए अदालत में पेश नहीं होना पड़ेगा, उसकी गवाही वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिये होगी।
गवाही के लिए वीडियो कॉफ्रेंसिंग की सुविधा
इसी तरह से आरोपियों को भी गवाही के लिए अदालत में लाने के बजाय वीडियो कॉफ्रेंसिंग की सुविधा दी जाएगी। इसी तरह से फॉरेंसिक या मेडिकल रिपोर्ट की कॉपी ऑनलाइन ही एक साथ संबंधित जांच अधिकारी और अदालत को एक साथ पहुंच जाएगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सीसीटीएनएस के देश के लगभग शतप्रतिशत थानों के जुड़ जाने के कारण कनेक्टिविटी की समस्या नहीं है, लेकिन वीडियो और अन्य ऑनलाइन रिपोर्ट को सुरक्षित रखने के लिए क्लाउड कैपेसिटी तैयार करना होगा।
राज्य सरकारों के साथ बातचीत चल रही है
इसके लिए राज्य सरकारों के साथ बातचीत चल रही है और इस साल के अंत तक सभी थानों में इसे उपलब्ध करा दिया जाएगा। उनके अनुसार जैसे-जैसे थानों में यह सुविधा उपलब्ध होती जाएगी, उनमें नए कानूनी प्रावधानों को लागू किया जाता रहेगा। इस साल के अंत तक सभी थानों को इससे लैस करने की तैयारी है। नए कानूनों में फॉरेंसिक की काफी अहमियत है और सात से अधिक सजा वाले सभी अपराधों में फारेंसिक साक्ष्य जुटाने को अनिवार्य कर दिया गया है।
मिलेंगी 900 मोबाइल फॉरेंसिक लैब
इसके लिए सभी जिलों को मोबाइल फॉरेंसिक लैब उपलब्ध कराया जाएगा। सूत्रों के अनुसार तीन कंपनियों ने मोबाइल फॉरेंसिंक लैब का सैंपल तैयार किया है, जिनकी कीमत लगभग 25 लाख रुपये है। ये कंपनियां मिलकर अगले छह महीने में 900 मोबाइल फॉरेंसिक लैब बनाकर दे सकती हैं।
पूरे देश में कुल 885 पुलिस जिले हैं, जिसमें 75 जिलों में पहले से मोबाइल फॉरेंसिक लैब उपलब्ध है। इस तरह से इसी साल सभी जिले मोबाइल फॉरेंसिक लैब से लैस हो जाएंगे। वरिष्ठ सूत्रों के अनुसार गृह मंत्रालय पूरी तरह से ऑनलाइन न्याय प्रणाली को फुलप्रूफ बनाने पर जोर दे रही है। इसके लिए चंडीगढ़ और अहमदाबाद में इसका पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है, जिसमें इस सिस्टम के फुलप्रूफ होने की जांच की जा रही है ताकि लागू होने के पहले उसमें जरूरी सुधार किया जा सके।
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