नई दिल्ली

न्यू क्रिमिनल लॉ बिल: अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर भड़काऊ भाषण देने वालों पर पर 5 साल की सजा, साहित पढ़ें नए क्रिमिनल लॉ बिल की बड़ी बातें…

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में तीन नए क्रिमिनल लॉ बिल पर चर्चा की. इस दौरान भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को ध्वनिमत से मंजूरी मिल गई. अमित शाह ने कहा कि पहली बार आपराधिक न्याय प्रणाली में मानवीय स्पर्श होगा.
उन्होंने कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी हम अभी भी यूके सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों का पालन कर रहे हैं. हम अभी भी हर मेजेस्टी, ब्रिटिश किंगडम, द क्राउन, बैरिस्टर जैसे अंग्रेजी शब्दों का उपयोग करते हैं. गृहमंत्री ने इन तीनों बिलों की खासियतें गिनाईं.

नए क्रिमिनल लॉ बिल के तहत अब रोड रेज या सड़क पर एक्सीडेंट करके फरार होने वाले लोग कानून से नहीं बच पाएंगे. उनके लिए सख्त और सटीक कानून आया है. केंद्र सरकार ने रोड एक्सीडेंट करके भागने वालों को अनिवार्य रूप से कानून के सामने लाने के लिए सख्त कानून बनाया है. इसके तहत रोड पर एक्सीडेंट करके फरार होने के जुर्म में 10 साल तक कैद की सजा का प्रावधान है. वहीं, अगर एक्सीडेंट करने वाला शख्स घायल व्यक्ति को हॉस्पिटल पहुंचाता है, तो उसकी सजा कम की जा सकती है. इस कानून की जानकारी गृहमंत्री अमित शाह ने आज लोकसभा में दी है.

अगले 100 साल को ध्यान में रखकर तैयार किए कानून

गृहमंत्री ने कहा कि पहली बार भारतीयता, भारतीय संविधान और भारत के लोगों से संबंधित लगभग 150 साल पुरानी आपराधिक न्याय प्रणाली को नियंत्रित करने वाले तीन कानूनों में बदलाव किए गए हैं. इन कानूनों में अगले 100 वर्षों में होने वाले संभावित तकनीकी नवाचारों की कल्पना करके देश की न्यायिक प्रणाली को सुसज्जित करने के लिए सभी प्रावधान किए गए हैं.

मॉब लिंचिंग पर मौत की सजा का प्रावधान

गृहमंत्री ने कहा कि मॉब लिंचिंग एक जघन्य अपराध है, इन कानूनों में इसके लिए मौत की सजा का प्रावधान है. पुलिस और नागरिकों के अधिकारों के बीच अच्छा संतुलन कायम किया गया है. शाह ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, जिसमें 484 धाराएं हैं, इसमें अब 531 धाराएं होंगी. कुल 177 धाराएं बदली गई हैं. 9 नई धाराएं जोड़ी गईं और 14 निरस्त की गईं हैं.

भारतीय न्याय संहिता में 21 नए अपराध जोड़े

भारतीय दंड संहिता की जगह लेने वाली भारतीय न्याय संहिता में पहले के 511 के बजाय 358 खंड होंगे. इसमें 21 नए अपराध जोड़े गए हैं, 41 अपराधों में कारावास की अवधि बढ़ाई गई है, 82 में जुर्माना बढ़ाया गया है. 25 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा शुरू की गई है, 6 अपराधों में सजा के रूप में सामुदायिक सेवा के प्रावधान हैं और 19 धाराएं निरस्त कर दी गई हैं.

e-FIR पर 2 दिन में देना होगा जवाब

भारतीय साक्ष्य विधेयक अब साक्ष्य अधिनियम की जगह लेगा. इसमें पहले के 167 के बजाय 170 खंड होंगे. 24 खंडों में संशोधन किया गया है, 2 नए जोड़े गए हैं और छह निरस्त किए गए हैं. गृहमंत्री ने कहा कि एक महिला ई-एफआईआर दर्ज करा सकती है, जिसका संज्ञान लिया जाएगा और दो दिनों के भीतर उसके घर पर जवाब देने की व्यवस्था की गई है.

दुरुपयोग रोकने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल

अमित शाह ने कहा कि पुलिस की शक्तियों का दुरुपयोग रोकने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा. न केवल जांच में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए, बल्कि साक्ष्य की गुणवत्ता में सुधार करने और पीड़ित और आरोपी दोनों के अधिकारों की रक्षा करने में मदद करने के लिए अपराध-स्थल, जांच और परीक्षण के सभी तीन चरणों में इसके उपयोग को महत्व दिया गया है.

जीरो एफआईआर के तहत ये प्रावधान किए

पीड़ित अब किसी भी पुलिस स्टेशन में जाकर जीरो एफआईआर दर्ज करा सकता है और इसे 24 घंटे के भीतर संबंधित पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित करना अनिवार्य होगा. उन्होंने कहा कि गिरफ्तार लोगों की सूची तैयार करने और उनके रिश्तेदारों को सूचित करने के लिए हर जिले और पुलिस स्टेशन में एक पुलिस अधिकारी को नामित किया गया है.

राजद्रोह की परिभाषा को बदला

अमित शाह ने कहा कि हमने राजद्रोह की परिभाषा को ‘राजद्रोह (सरकार के खिलाफ अपराध)’ से बदलकर ‘देशद्रोह (राष्ट्र के खिलाफ अपराध)’ कर दिया है. भारतीय दंड संहिता की धारा 124 या राजद्रोह कानून को निरस्त कर दिया गया है. नए कानून का उद्देश्य “सरकार को बचाना नहीं, बल्कि देश को बचाना है. एक स्वस्थ लोकतंत्र में, हर किसी को सरकार की आलोचना करने का अधिकार है, लेकिन हम किसी को भी भारत के बारे में अपमानजनक कुछ भी कहने की अनुमति नहीं देंगे.

तीन नए क्रिमिनल लॉ बिल की बड़ी बातें

– यौन हिंसा के मामलों में बयान महिला न्यायिक मजिस्ट्रेट ही करेगी

– देशभर में जीरो एफआईआर की शुरुआत

-FIR दर्ज करने की इलेक्ट्रॉनिक सुविधा शुरू की गई है

– जांच में फोरेंसिक सहायता शुरू की गई

– गंभीर अपराध की जांच डीएसपी स्तर के पुलिस अधिकारी द्वारा करने का प्रावधान

– 3 साल से अधिक और 7 साल से कम की सजा पाने वाले अपराधों में प्रारंभिक जांच शुरू की गई है

– BNS में जमानत का अर्थ सरल बना दिया गया है

– पहली बार विचाराधीन कैदी को जमानत पर शीघ्र रिहाई प्रदान करने का प्रावधान

– दोषमुक्ति के मामलों में जमानत को सरल बनाया गया है

– पहली बार अपराधी को प्ली बार्गेनिंग में कम सज़ा दी जाएगी

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