छत्तीसगढ़ के इस शासकीय हाई स्कूल मे 5 व्याख्याताओं ने ऐसी पढ़ाई पाठ कि 46 में 2 विद्यार्थी ही पास….

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शासकीय हाई स्कूल झलमला में पढ़ाई का स्तर कैसा हैइसे इस बात से समझा जा सकता है कि इस साल 10 वीं की परीक्षा में 46 में से मात्र 2 विद्यार्थी द्वितीय श्रेणी में पास हुए।
जबकि 4 विद्यार्थी पूरक रहे और 40 विद्यार्थी फेल हो गए। स्कूल में 5 व्याख्याता पदस्थ हैं। इसके बाद भी यहां का परीक्षा परिणाम मात्र 4.35 प्रतिशत आया। ऐसे में शिक्षक की गुणवत्ता कैसे सुधरेगी यह विचारणीय है।

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अकलतरा ब्लाक के शासकीय हाई स्कूल झलमला में 10 वीं का परीक्षा परिणाम महज 4.35 प्रतिशत आया है। ऐसे में इस स्कूल में पढ़ाई की व्यवस्था कैसी है यह समझा जा सकता है। ऐसा भी नहीं है कि यहां स्टाफ की कमी है। स्कूल में बकायदा 5 व्याख्याता पदस्थ हैं। 10 वीं कक्षा में यहां 46 विद्यार्थी अध्ययनरत थे इनमें से महज 2 विद्यार्थी पास हुए। जबकि 4 पूरक आए और 40 विद्यार्थी फेल हो गए। ऐसे में अभिभावक इस स्कूल में बच्चों को भर्ती कराने से पहले ही झिझक रहे हैं। शासन द्वारा जिस स्कूल में वेतन व अन्य मदों में 50 लाख रूपए से अधिक खर्च किया जा रहा है। उस स्कूल का परीक्षा परिणाम मात्र 4 .35 फीसदी आए तो यह शर्मनाक है।

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शिक्षक संगठनों के द्वारा विभिन्न् तरह के वेतन भत्तों की मांग हमेशा की जाती है और सरकार द्वारा उनकी मांगों को समय-समय पर पूरा भी किया जाता है मगर परिणाम का आंकलन शिक्षक व व्याख्याता नहीं करते इसके कारण परीक्षा परिणाम खराब आता है। जिले में सबसे खराब परीक्षा परिणाम झलमला हाई स्कूल का ही आया है। पिछले वर्ष इस स्कूल का परीक्षा परिणाम 75 फीसदी था जबकि कोरोना के बाद स्कूल खुला था। इस साल सब कुछ ठीक ठाक था तब भी परीक्षा परिणाम इतना खराब आना चिंता का विषय है।

इन स्कूलों का परिणाम भी खराब

वैसे तो अन्य कई स्कूलों का परीक्षा परिणाम 50 प्रतिशत से कम आया है मगर शासकीय हाईस्कूल हिर्री में 10 वीं का महज 12.50 प्रतिशत परीक्षा परिणाम आया है। इसी तरह शासकीय हायर सेकेडरी तागा का परिणाम 19.23 प्रतिशत, शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल पंतोरा का परिणाम 32 प्रतिशत, शासकीय हाई स्कूल कचंदा का परिणाम 14.29 फीसदी, हाई स्कूल घुठिया का परिणाम 20.59 प्रतिशत है। शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बाराद्वार में 29 फीसदी परीक्षा परिणाम आया है। जबकि शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल किरीत का परीक्षा परिणाम महज 31 प्रतिशत, नवागढ़ का 35.58 प्रतिशत और शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल महंत का परिणाम 37 प्रतिशत आया है।

खराब परिणाम के ये बताए कारण

शिक्षा विभाग नेपरिणाम खराब आने के कारणों पर मंथन किया। जिसमें यह निष्कर्ष निकाला गया कि बच्चों व शिक्षकों की नियमित उपस्थिति नहीं होने, विषय शिक्षकों की कमी, बच्चों को समझ न आना, जिज्ञासा की कमी, व्यवस्थित टाइम टेबल का अभाव, प्रारंभिक शिक्षा में कमी, विद्यार्थियों के द्वारा समझने के बजाय रटने की प्रवृत्ति , बच्चों में आत्म विश्वास की कमी और नियमित रूप से मूल्यांकन नहीं होना तथा कमजोर बच्चों की पहचान नहीं किया खराब परिणाम के लिए प्रमुख कारण है।

”” नीचे स्तर से जो बच्चे 9 वीं में आते हैं वे बहुत कमजोर थे। पढ़ाई का स्तर काफी कमजोर होने के कारण हमारे द्वारा मेहनत किए जाने के बाद भी अच्छा परिणाम नहीं आया। ज्यादातर बच्चे गरीब वर्ग के हैं वे पढ़ाई के साथ मजदूरी भी करते हैं इसलिए नियमित स्कूल भी नहीं आते। तीन साल कोरोना के कारण पढ़ाई का स्तर भी गिरा है। इस साल प्रयास कर रहे हैं कि बेहतर रिजल्ट आए।
नंदकुमार रात्रे
(प्रभारी प्राचार्य, शासकीय हाई स्कूल झलमला)

”” खराब रिजल्ट वाले स्कूलों के प्राचार्यों को नोटिस जारी किया गया है। इन स्कूलों की नियमित मानिटरिंग भी की जा रही है और कमियों को दूर कर बेहतर परिणाम लाने प्रेरित किया जा रहा है।

एचआर सोम
(डीईओ, जांजगीर)

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