रायगढ़ : प्रबंधक ने ज्वाईन करते ही किया कमाल, गड़बड़ी का तरीका देखकर अफसर हैरान… किसानों का रकबा बढ़ाकर लाखों का लोन प्रबंधक पर पहले हो चुकी है एफआईआर, फिर भी सहकारिता विभाग ने उसी को दिया प्रभार….

Screenshot_2023-07-05-09-46-59-098-edit_com.google.android.googlequicksearchbox.jpg

रायगढ़, फर्जी रकबा बढ़ाकर धान खरीदी घोटाले के बाद लैलूंगा समिति में अब लोन घोटाला सामने आया है। इस बार भी वही प्रबंधक है जो पिछले घपले में था। इस बार भी किसानों का फर्जी रकबा बढ़ाकर केसीसी लोन आहरित कर लिया गया है। ऐसी कई अनियमितताएं पाए जाने के बाद अब फिर से एफआईआर की तैयारी कर ली गई है।
लैलूंगा समिति में एक के बाद एक गड़बड़ी सामने आती जा रही है, जिस पर सहकारिता विभाग नियंत्रण नहीं कर पा रहा है। 21-22 में किसानों का फर्जी रकबा दिखाकर धान खरीदी कर ली गई थी। इसमें सरकार को करोड़ों की हानि हुई है। पुलिस ने लैलूंगा प्रबंधक प्रहलाद बेहरा के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की है। यह केस अभी लंबित है और इधर दूसरा कांड हो गया है। 21-22 के मामले में निलंबित प्रबंधक प्रहलाद बेहरा को सहकारिता विभाग ने दोबारा उसी समिति में बहाल कर दिया। इसके बाद तो जैसे और भी नए तरीकों से गबन किया जाने लगा है। समिति में पंजीकृत करीब 20 किसानों के रकबे में फर्जी तरीके से बढ़ोतरी दिखाकर ऋण निकाल लिया गया। मतलब दो हेक्टेयर वाले किसान के नाम से 4 हेक्टेयर में लोन लेकर आहरण भी कर लिया गया। इसकी भनक लगी तो जांच शुरू की गई।

22-23 में धान खरीदी पोर्टल में किसानों की सूची और 2023 में एनएलसी पत्रक में किसानों की सूची से मिलान किया गया। रैंडमली 20 किसानों का मिलान किया गया तो पता चला कि सबके रकबे में वृद्धि की गई है। किसानों के कुल रकबे में करीब 6 हेक्टेयर और सत्यापित गिरदावरी की तुलना में करीब 27 हेक्टेयर की बढ़ोतरी की गई। रकबा बढ़ गया तो किसानों की ऋण लेने की लिमिट भी बढ़ गई। इस तरह फर्जी रकबे पर करीब 10 लाख का नकद लोन निकाल लिया गया। सूत्रों के मुताबिक इसमें से करीब सात लाख रुपए तो आहरित भी कर लिए गए हैं। यह आंकड़ा रैंडमली जांच में निकला है, सभी किसानों के आंकड़ों की जांच हुई तो गबन 50 लाख भी हो सकता है। अब जांच रिपोर्ट कलेक्टर को भेजकर कार्रवाई प्रारंभ हो चुकी है।

दस टन खाद भी गायब

लैलूंगा समिति में खाद में भी गड़बड़ी की गई है। वास्तविक व पंजीकृत किसानों को रासायनिक खाद देने के बजाय बिचौलियों व बड़े किसानों को नकद में उर्वरक बेच दिए गए। मिलान हुआ तो पता चला कि दस टन खाद भी गायब है। इसका विक्रय किसे किया गया, प्रबंधक के पास भी इसका जवाब नहीं है। यह राशि भी प्रबंधक से वसूली जाएगी।

कैसे दोबारा मिल गई समिति की कमान

रायगढ़ जिले में घोटालेबाज समिति प्रबंधकों को वापस से बहाल करने के लिए विधायकों और अधिकारियों की लॉबी काम करती है। लैलूंगा में 21-22 में धान की राशि का गबन हुआ। प्रबंधक प्रहलाद बेहरा जांच में दोषी पाए गए जिसके बाद एफआईआर दर्ज कराई गई। इसके आधार पर प्रबंधक को निलंबित किया गया। लेकिन एक साल बाद ही उसी प्रहलाद बेहरा को सहकारिता विभाग ने पुन: लैलूंगा समिति की कमान दे दी। अब वह कई नए घपलों को अंजाम दे चुका है।

क्या कहते हैं कलेक्टर

लैलूंगा समिति में ऐसा मामला सामने आया है। हम जांच करवा रहे हैं। दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
– तारन प्रकाश सिन्हा, कलेक्टर

Recent Posts