भारत को लगी लॉटरी,मिला 15 दुर्लभ खनिज,कार से लेकर फोन तक में होत्त इस्तेमाल….

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India : इन दिनों देश में जरुरी खनिजो के काफी भंडार मिल रहे हैं, दुर्लभ खनिज के मिलने से इन दिनों राज्य भी काफी अमीर हो रहे है। इसी कड़ी में आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में 15 दुर्लभ पृथ्वी तत्वों के बड़े भंडार मिले है।

यह पर जो दुर्लभ खनिज मिले है। इन खनिज का इस्तेमाल टीवी, फोन से लेकर कंप्यूटर और ऑटोमोबाइल में इस्तेमाल किया जाता हैं। यह जो पृथ्वी तत्व है। इसकी खोज हैदराबाद स्थित नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनजीआरआई ) के वैज्ञानिकों ने की है तो आइए जानते है इसके बारे में।

पेद्दावदागुरु और रेड्डीपल्ले गांवों में विभिन्न साइज का जिक्रोन देखा गया

दरअसल, एनजीआरआई के वैज्ञानिक साइनाइट जैसी गैर-पारंपरिक चट्टानों के लिए एक सर्वेक्षण कर रहे थे। तभी वैज्ञानिको ने लैंथेनाइड श्रृंखला में खनिजों की जरुरी खोज की। पहचान किए गए तत्वों में एपेटाइट, जिरकोन, एलानाइट, सीरीएट, टैंटलाइट, मोनाजाइट, थोराइट, कोलम्बाइट, पायरोक्लोर यूक्सेनाइट और फ्लोराइट तत्व शामिल हैं। एनजीआरआई के वैज्ञानिक पीवी सुंदर राजू की तरफ से कहा गया है कि पेद्दावदागुरु और रेड्डीपल्ले गांवों में विभिन्न साइज का जिक्रोन देखा गया।

दुर्लभ पृथ्वी तत्व के बारे में ज्यादा जानने के लिए डीपड्रिलिंग के जरिए ज्यादा व्यवहार्यता अध्ययन किया जाएगा

वैज्ञानिक पीवी सुंदर राजू की तरफ से कहा गया है कि मोनाजाइट के दानों में अनाज के भीतर रेडियल दरारों के साथ बहुत सारे रंग दिखाई देते हैं, जो इस चीज का संकेत देते है। कि यह पर रेडियोधर्मी तत्वों की उपस्थिति हैं। वैज्ञानिक पीवी सुंदर राजू ने कहा कि दुर्लभ पृथ्वी तत्वों के बारे में ज्यादा जानने के लिए डीपड्रिलिंग के जरिए ज्यादा व्यवहार्यता अध्ययन किया जाएगा।

यह जो तत्व है। इसका इस्तेमाल एयरोस्पेस, स्वच्छ ऊर्जा, सुरक्षा और परमानेट मैग्नेट के बनाने में भी किया जाता है। व्यापक रूप से दुर्लभ पृथ्वी तत्वों का इस्तेमाल हाई टेक्नोलॉजी के लिए किया जाता है। क्योंकि दुर्लभ पृथ्वी तत्वों में ल्यूमिनेसेंट और उत्प्रेरक का गुण होता है। एनजीआरआई के वैज्ञानिकों की तरफ से कहा गया है कि मेटलोजेनी के प्रभावों के साथ दुर्लभ पृथ्वी तत्वों का मूल्यांकन जो है। यह अब तक आंध्र प्रदेश में क्षारीय साइनाइट परिसरों में चल रहा है। एक वैज्ञानिक के अनुसार, दुर्लभ पृथ्वी तत्वों खनिज की क्षमता को समझने के लिए तीन सौ नमूनों को और अध्ययन किया गया।

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