पंडित लखन दास वैष्णव के श्रीमुख से श्री कृष्ण जन्म की कथा सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु, पूरा पंडाल जयकारों से गूंजा….

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शक्ति। व्यक्ति को अहंकार नहीं करना चाहिए, अहंकार बुद्धि और ज्ञान का हरण कर लेता है। अहंकार ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। शक्ति जिला के डोमाडीह गाँव मे चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा आयोजन के पंचम दिवस पर आचार्य पंडित लखन दास वैष्णव जी ने यह बात कही। गजेंद्र मोक्ष, समुद्र मंथन, वामन अवतार के साथ श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का प्रसंग सुनाया। श्रीकृष्ण की जन्म कथा का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे।

प्रम श्रद्धेय लखन दास वैष्णव ने सुनाई कथा-

कथा व्यास लखन दास वैष्णव ने बताया कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। वैष्णव जी ने कहा कि जब-जब धरती पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं। जैसे ही कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ पूरा पंडाल जयकारों से गूंजने लगा।

विधायक की धर्मपत्नी श्रीमती गीता देवी चंद्रा ने किया कथा का रसपान –

भगवत प्रेमी और वर्तमान विधायक केशव चंद्रा धर्मवत्सल विधायक के रूप मे अंचल मे प्रख्यात हैँ, श्री हरि कथा मे विशेष रुचि रखने वाले श्री चंद्रा रायपुर दौरे पर हैँ। लेकिन, उनकी धर्मपत्नी पूर्व जिला पंचायत सदस्य श्रीमती गीता देवी चंद्रा विशेष रूप से श्रीमद भगवत कथा श्रवण करने डोमाडीह पहुंची थीं। कथा श्रवन के पश्चात श्रीमती गीता केशव चंद्रा ने भगवत भगवान एवं व्यास पीठ से आशीर्वाद प्राप्त कर प्रसाद भी ग्रहण किये।

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