छत्तीसगढ़: 2 साल से चक्कर काटते बच्चे परेशान! स्कूल में प्रवेश न मिलने से हताश,कमिश्नर के सामने ही रोए विद्यार्थी….

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छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग के करीब सभी जिले के नक्सल हिंसा से प्रभावित है। यहां कई ऐसे परिवार हैं जिनके सदस्यों की मुखबिरी या पुलिस फोर्स का साथ देने के आरोप में हत्या कर दी गई।

इन सदस्यों के बलिदान के बाद इनके परिवार में बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक को अत्याधिक समस्या का सामना करना पड़ता है। इन्हें शासन-प्रशासन की ओर से किसी प्रकार का लाभ नहीं मिल पाता, जिसके चलते परिवार अपने हक के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं। लेकिन कोई सुध लेने वाला नही होता। वहीं दूसरी ओर निर्दोष ग्रामीणों की हत्या करने वाले नक्सलियों को शासन की पुनर्वास नीति के तहत सारी सुविधाएं दी जा रही है।

पूरा मामला कुछ ऐसा है। लगातार दो दिनों से डीएवी स्कूल के विद्यार्थी अपनी मांगों को लेकर कलेक्टर से मिलने कलेक्ट्रेट पहुंच रहे हैं। जहां कलेक्टर से ना मिल पाने की स्थिति में बच्चों ने बस्तर कमिश्नर श्याम धावड़े का काफिला रोक दिया और कमिश्नर के समक्ष अपनी मांग रखी। इन बच्चों के साथ कुछ पालक भी आए हुए थे। काफिला रुका देख 2 वर्ष से कलेक्ट्रेट का चक्कर काट रहे नक्सल पीड़ित परिवार के बच्चों ने भी बस्तर कमिश्नर को अपनी परेशानी से अवगत कराया। स्कूल में प्रवेश न मिलने से हताश व अपने भविष्य को अंधकार में जाता देख नक्सल पीड़ित परिवार के बच्चे आपबीती बताते हुए बस्तर कमिश्नर के सामने ही फूट-फूटकर रो पड़े। जिससे भावुक होकर पास खड़े एक पालक का सब्र का बांध टूट गया और पानी आंखों के रास्ते आंसू बनकर छलकने लगा। पालक ने भी बच्चों के लिए कमिश्नर से गुहार लगाई तब प्रतिक्रिया देते हुए बस्तर कमिश्नर ने पालक को फटकार लगाते हुए नेतागिरी ना करने की हिदायत दे डाली।

जिले के नक्सल पीड़ित परिवार के बच्चों ने दौरे पर आए बस्तर कमिश्नर के सामने रोते हुए अपनी पढ़ाई को लेकर एडमिशन कराने की गुहार लगाई और कहा कि कोरोनाकाल के बाद से 2 वर्ष होने को है हमारा एडमिशन नहीं हुआ। जिसके चलते हमारी पढाई शुरू नहीं हुई है। कई महीनों से कलेक्ट्रेट कार्यालय के चक्कर काट काटकर थक गए हैं हमारी गुहार सुनने वाला कोई नहीं है, इसीलिए आप से गुहार लगा रहे हैं, हमारा भविष्य बर्बाद ना हो इसलिए हमारा एडमिशन करवा कर हमारी पढ़ाई शुरू कराने की कृपा करें। वही बस्तर कमिश्नर ने कलेक्टर को बच्चों का एडमिशन कराकर उनकी पढ़ाई शुरू कराने के निर्देश दिए और बच्चों से कहा कि आपकी पढ़ाई बंद नहीं होगी आपको अच्छी शिक्षा मिलेगी।

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