नई दिल्ली

अगर 50 हजार रुपये महीना की है सैलरी तो जानें कितना देना होगा इनकम टैक्स,जाने डिटेल…

अगर आप नौकरीपेशा हैं तो हो सकता है कि आपको कंपनी से फॉर्म 16 मिल गया हो। अगर मिल गया है तो देर न करें और इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल कर दें। आपकी सैलरी अगर 50 हजार रुपये महीने यानी 6 लाख रुपये सालाना है तो भी आपको इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना होगा।

यह है दोनों रिजीम में अंतर
पुरानी रिजीम: यह उन सैलरीड पर्सन के लिए ठीक है जो होम लोन की ईएमआई दे रहे हैं या कहीं इंश्योरेंस/हेल्थ इंश्योरेंस या किसी दूसरी टैक्स सेविंग स्कीम में इन्वेस्ट करते हैं।

नई रिजीम: यह उनके लिए ठीक है जिनकी नई जॉब लगी है। होम लोन या ब्याज की देनदारी नहीं है। कहीं कोई इन्वेस्टमेंट नहीं है। अगर पुराने एम्प्लॉई हैं और किसी भी प्रकार का इन्वेस्टमेंट नहीं किया है और न ही कोई लोन है।

1. पुरानी रिजीम के अनुसार
पहली स्थिति : 50 हजार रुपये महीने के हिसाब से आपकी सालाना इनकम 6 लाख रुपये होती है। अगर आपने कहीं भी किसी भी प्रकार का इन्वेस्टमेंट नहीं किया है तो आपको सिर्फ 50 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिक्शन मिलेगा। ऐसे में आपकी सालाना टैक्सेबल इनकम 5.50 लाख रुपये मानी जाएगी। इस इनकम पर आपको 23,400 रुपये का टैक्स देना होगा।

दूसरी स्थिति : अगर आप अपनी रकम कहीं इन्वेस्ट करते हैं तो टैक्स में छूट पा सकते हैं। मान लीजिए कि आप 80C में आने वाली टैक्स सेविंग स्कीम जैसे SSY, SCSS, PPF, NPS, FD, लाइफ इंश्योरेंस आदि में निवेश करते हैं तो सालाना 1.50 लाख रुपये की छूट ले सकते हैं। इस प्रकार आपको दो लाख रुपये (50 हजार स्टैंडर्ड डिडक्शन और 1.50 लाख रुपये 80C में इन्वेस्ट करने से) की छूट मिल जाएगी। ऐसे में आपकी सालाना टैक्सेबल इनकम 4 लाख रुपये मानी जाएगी। इस इनकम पर आपको कुछ भी टैक्स नहीं देना होगा।

2. नई रिजीम के अनुसार
नई रिजीम के अनुसार अगर आप ITR फाइल करते हैं तो आपको कुछ भी टैक्स नहीं देना होगा। दरअसल, नई टैक्स व्यवस्था में सिर्फ 50 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलता है। ऐसे में आपकी सालाना टैक्सेबल इनकम 5.50 लाख रुपये हो जाएगी। इस इनकम पर आपको कुछ भी टैक्स नहीं देना होगा।

रिजीम कर सकते हैं स्विच
जॉब करने वाला कोई भी शख्स अपनी मर्जी से कोई भी रिजीम चुन सकता है। कंपनी उसी के अनुसार आपकी सैलरी से टैक्स काटती है। अगर सैलरीड पर्सन मार्च तक कोई रिजीम नहीं चुनता है तो इसे बाय डिफॉल्ट नया रिजीम मान लिया जाता है। अगर आपने भी कोई टैक्स रिजीम नहीं चुना है या नया चुन लिया है और पुराने रिजीम के अनुसार ITR फाइल करना चाहते हैं तो टैक्स रिजीम स्विच कर सकते हैं।

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