हिट-एंड-रन कानून पर पूरे देश में बवाल, जानें दूसरे देशों में क्या है सजा का प्रावधान, भारत में क्यों पीड़ित की जान लेकर आसानी से भाग जाते हैँ ड्राइवर?

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संसद के शीतकालीन सत्र में IPC और CRPC में बड़े बदलाव किए गए हैं. इन बदलावों को आज के दौर के हिसाब से ढाला गया है. ब्रिटिश काल से चले आ रहे सजा देने वाले कई प्रावधानों को हटाया गया है और कुछ आपराधिक मामलों को नए कानून में जोड़ा गया है.
जैसे एक्सीडेंट के मामलों को ही ले लीजिए. केंद्र सरकार ने IPC को भारतीय दंड संहिता में बदलते हुए, इस कानून में भी कुछ बदलाव किए हैं. सरकार ने HIT & RUN के मामलों को ज्यादा गंभीर माना. HIT & RUN को असंवेदनशील मानते हुए, उसके लिए अलग से कानून जोड़ा है. लेकिन इस बदलाव का ट्रांसपोर्टर्स विरोध कर रहे हैं. विरोध करने वालों को दूसरे देशों के कानून के बारे में भी जानना चाहिए, जहां हिट-एंड-रन में कठोर से कठोर सजा दी जाती है.

कई देशों में पहले से ही सख्त नियम

भारत ने आजादी के 76 वर्षों बाद दंड संहिता में बदलाव किया है. ये पहली बार जब HIT & RUN के मामलों को असंवेदनशील और गंभीर अपराध माना है. लेकिन दुनिया के कई देशों ने काफी पहले से ही सख्त नियम बना लिए थे.

किस देश में क्या सजा..

– दक्षिण कोरिया में HIT & RUN के मामले में पीड़ित की मौत होने पर दोषी को उम्रकैद तक की सज़ा हो सकती है. यही नहीं भारी जुर्माना भी लगाया जाता है.

– अमेरिका में HIT & RUN जिसमें पीड़ित की मृत्यु हो गई हो, उसमें दोषी पाए जाने पर 6 महीने से लेकर 30 साल तक की सज़ा का प्रावधान है और 10 लाख रुपये तक जुर्माना भी होता है. यहां के अलग-अलग राज्यों में सज़ा के लिए अलग-अलग प्रावधान हैं.

– इसी तरह से इंग्लैंड में HIT & RUN के मामलों में पीड़ित की मौत होने पर, दोषी को भारी जुर्माना, और 14 साल तक की सज़ा का प्रावधान है. इंग्लैंड में दोषी चालक पर 2 साल तक के लिए गाड़ी चलाने पर भी प्रतिबंध लगाया जाता है.

– कनाडा में HIT & RUN के मामलों में पीड़ित की मौत होने पर दोषी को 5 साल की सज़ा का प्रावधान है, और भारी जुर्माना लगाया जाता है.

– जापान में HIT & RUN के मामलों में पीड़ित की मृत्यु होने पर दोषी को 7 साल की सज़ा और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाता है

– चीन में HIT & RUN के मामलों में पीड़ित की मौत होने पर दोषी को 7 साल की सज़ा और जुर्माने का प्रावधान है.

– जर्मनी में HIT & RUN के मामलों में पीड़ित की मौत होने पर दोषी को 5 साल की सज़ा का प्रावधान है, यही नहीं इस देश में अगर कोई व्यक्ति दुर्घटना का चश्मदीद है, और वो पीड़ित की मदद नहीं करता है, तो उसे भी 1 साल की सज़ा हो सकती है.

इस मामले में भारत पीछे..

यानी इन देशों में भी किसी व्यक्ति को टक्कर मारकर भागने वाले चालक को गंभीर अपराध का दोषी माना जाता है. यही नहीं इस तरह के मामलों को असंवेदनशील माना जाता है. भारत में अभी तक HIT & RUN की गंभीरता को नहीं समझा गया था. ज्यादातर मामलों में चालक, एक्सीडेंट के बाद भाग जाते थे, वो ये मानते थे कि वो किसी व्यक्ति की जान लेकर बच निकलेंगे.

धारा 106 (2) अलग से जोड़ी गई

कानून में बदलावों की बात करें तो भारतीय दंड संहिता में दुर्घटनाओं में होने वाली गैर इरादतन हत्या के लिए धारा 106 (1) और 106 (2) बनाई गई है. धारा 106 (1) के तहत लापरवाही की वजह से हुई दुर्घटना, अगर किसी व्यक्ति की मौत का कारण बनती है, और जो गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में नहीं आती है, उस केस में अधिकतम सज़ा 5 साल और जुर्माना लगाया जाता है. इस धारा में HIT & RUN मामलों के लिए धारा 106 (2) अलग से जोड़ी गई है. इसके तहत सड़क पर लापरवाही की वजह से हुई दुर्घटना में अगर किसी व्यक्ति की मौत होती है, और घटना के तुरंत बाद आरोपी, पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को सूचना दिए बिना भाग जाता है. तो उस मामले में अधिकतम 10 साल की सज़ा और जुर्माने का प्रावधान है.

पूरे देश में बवाल

हमने आपको सामान्य दुर्घटनाओं में हुई मौत के आरोपी और HIT & RUN के आरोपियों को मिलने वाली सज़ा के बारे में इसलिए बताया, क्योंकि इस कानून को लेकर पूरे देश में बवाल मचा हुआ है. देशभर के ट्रक,बस, डंपर चलाने वाले, इस कानून के विरोध में चक्का जाम किए हुए हैं. उन लोगों की मांग है कि केंद्र सरकार HIT & RUN वाले कानून खत्म कर दे. उनका कहना है कि इस मामले में सज़ा के वर्ष बहुत ज्यादा हैं. ट्रक,बस चालकों का मानना है कि इस कानून को खत्म करना चाहिए. उनका आरोप है कि इस तरह के कानून बनाने से पहले इस व्यवस्था से जुड़े जिम्मेदार लोगों से बात नहीं की गई.

10 राज्यों में चक्का जाम का असर

हालात ये है कि HIT & RUN कानून के विरोध में हो रहे चक्का जाम का असर उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में ज्यादा दिख रहा है. देश के 10 राज्यों में चक्का जाम का असर पड़ा है. ट्रांसपोर्टर्स, सामान को एक जगह से दूसरी जगह नहीं ले जा रहे हैं. ट्रक चालकों ने काम करने से मना कर दिया है, यही नहीं राज्य परिवहन से जुड़ी बसों के चालकों ने भी ड्यूटी पर आने से मना कर दिया है.

जम्मू-कश्मीर में 90 प्रतिशत पेट्रोल पंप सूखे पड़े

अलग-अलग ट्रांसपोर्ट सिस्टम से जुड़े चालकों के चक्काजाम से देश में माल ढुलाई का काम फंसा हुआ है. स्थिति ये है कि कई शहरों में दूध, फल, सब्जियों की किल्लत हो रही है. कई राज्यों और शहर में पेट्रोल-डीजल की सप्लाई भी ठप पड़ी हुई है. जम्मू-कश्मीर में 90 प्रतिशत पेट्रोल पंप सूखे पड़े हैं, क्योंकि वहां सप्लाई नहीं पहुंच पाई है. यहां पर 1500 के करीब टैंकर चालक हड़ताल पर हैं. अगर ऐसे ही ये चक्काजाम चलता रहा, तो आने वाले कुछ दिनों में जरूरत के सामानों की कीमतें बढ़ेंगी, क्योंकि आपूर्ति नहीं हो रही है.

क्यों डर रहे बड़े वाहनों के चालक?

वैसे तो HIT & RUN कानून सभी तरह के वाहनों पर लागू होता है. लेकिन इससे सबसे ज्यादा प्रभावित वो लोग होंगे, जो अपना ज्यादातर समय सड़क पर वाहन चलाते हुए बिताते हैं. इनमें ट्रांसपोर्ट वाहन चलाने वाले चालक ज्यादा हैं. इसीलिए ट्रक,बस या डंपर चालकों को इस कानून से ज्यादा डर लग रहा है. अब सवाल ये है कि HIT & RUN से जुड़े कानून को लेकर ट्रक,डंपर या बस चालकों में डर क्या है.

..घटनास्थल से भाग जाते हैं

आमतौर पर HIT & RUN के आरोपी बस, ट्रक या डंपर चालक, घटनास्थल से भाग जाते हैं. उन्हें डर होता है कि दुर्घटना के बाद वहा मौजूद भीड़ उनकी MOB LYNCHING कर सकती है. इसीलिए ज्यातर मामलों में दुर्घटना के बाद आरोपी चालक, वहां से भाग जाते हैं. लेकिन यहां एक बात हम आपको भी बताना चाहते है कि HIT & RUN से जुड़ा कानून सभी पर लागू है. ये सामान्य कार चालक पर उसी तरह से लागू है जिस तरह से किसी ट्रक चालक पर.अगर सड़क पर बरती गई लापरवाही की वजह से किसी की मौत होती है, और अगर दोषी, संवेदनशीलता दिखाते हुए पीड़ित को अस्पताल पहुंचाता है, तो उसको अलग नजर से देखा जाएगा, इसमें सज़ा भी कम है.

पीड़ित की जान की कोई फिक्र नहीं..

वहीं अगर कोई आरोपी असंवेदनशीलता दिखाते हुए भाग जाएगा, तो यकीनन उसपर सख्त कार्रवाई की जाएगी. जहां तक mob lynching के डर का सवाल है, ऐसे मामले में मुमकिन है कि बस या ट्रक चालक, कुछ दूर आगे जाकर पुलिस को सूचना देकर आत्मसमर्पण कर दे, या फिर वो पुलिस से पीड़ित की जान बचाने का आग्रह भी कर सकता है. दोनों ही मामलों में दोषी को संवेदनशील व्यक्ति माना जा सकता है. HIT & RUN सीधे-सीधे एक ऐसा अपराध है जिसमें आरोपी, अपराध के बाद अपराध से बचने की कोशिश में भागने का प्रयास करता है. उसे पीड़ित की जान की कोई फिक्र नहीं होती. इसको Mob Lynching से जोड़ना, एक बहाना है. बस या ट्रक चालक ये बहाना बनाकर अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते है.

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