बिग ब्रेकिंग: खरसिया; तमनार और घरघोड़ा में ग्राउंड वाटर लेवल स्थिति खराब….बरमकेला सारंगढ़ में मार्च में ही वाटर लेवल नीचे….

जिले में ग्राउंड वाटर लेवल मार्च में ही चिंताजनक रूप से गिर रहा है। खरसिया और तमनार में स्थिति ज्यादा खराब है। यहां उद्योगों में भू जल का दोहन ज्यादा है। पुसौर व रायगढ़ में खेती में बोर पंप का उपयोग अधिक होने से स्थिति बिगड़ी है। सारंगढ़ जिले के बरमकेला में हर साल गर्मी की शुरुआत में ही भू जल स्तर गिरता है। मार्च में ही बोर पंप सूखने से किसान नहर व तालाब से पानी देने मांग करते हैं।
बरमकेला सारंगढ़ में मार्च में ही वाटर लेवल नीचे:
सारंगढ़ बिलाईगढ़ में जल संसाधन विभाग के इंजीनियर उत्तम श्रीवास्तव ने बताया कि पहली बार मार्च में ही ग्राउंड वाटर लेवल की स्थिति खराब हो गई है। बरमकेला में 200 फीट तक में पानी नहीं मिल पा रहा है। आने वाले समय में हालात ऐसे हो जाएंगे कि टैंकर से पानी सप्लाई स्थिति ना बन जाए।
नवंबर और दिसंबर में बारिश नहीं हुई और लोग इसी माह से अपने खेतों की सिंचाई के लिए नहरों व नालों से पानी देने की मांग कर रहे हैं। दोनों ब्लाक में पीएचई को जल जीवन मिशन के तहत पाइपलाइन बिछानी है।
सर्वे में खुलासा: मार्च में ही गिरने लगा भू जल स्तर बिलासपुर संभाग स्तर पर भू जल सर्वेक्षण करने वाली संस्था राज्य भूजल सर्वेक्षम विभाग ने कुछ वर्षों पहले तमनार और घरघोड़ा इलाकों में स्थिति जानने के लिए एक सर्वे किया था। वहां भू जल स्थिति गर्मी में 500 600 फीट तक चले जाने
की बात सामने आई थी। बरमकेला और पुसौर में हालात सही नहीं थे, हालांकि अभी पीएचई की रिपोर्ट में देखे तो हालात अभी भी नहीं सुधरे पाए हैं। पीएचई के ताजा रिकार्ड के अनुसार तमनार में अभी ही 149 बोर पंप सूख चुके हैं। खरसिया में भी हालात काफी खराब हो रहे हैं।
नरवा से भू जल स्तर बढ़ाने का प्रयास
“खरसिया; तमनार और घरघोड़ा में माईंस और इंडस्ट्रियल एरिया होने से वहां ग्राउंड वाटर लेवल स्थिति खराब है। गर्मी जाने के बाद हालात और खराब होंगे। ऐसे में पंचायत व वन विभाग द्वारा संयुक्त रूप ये नरवा विकास का काम कर रहा है। इसके माध्यम से ही कोशिश की जा रही है कि भू जल स्तर को बढ़ा सकें। इसी कोशिश पर काम किया जा रहा है।”
(परीक्षित चौधरी, ईई, पीएचई )
सरफेस वॉटर कम, ग्राउंड का उपयोग ज्यादा
“घरघोड़ा, तमनार और खरसिया में सरफेय वाटर कम और ग्राउंड वाटर का उपयोग ज्यादा हो रहा है। यहां पर सबसे ज्यादा कोल माइंस, कोलवाशरी और उद्योग है। चटटान की वजह से पानी रिचार्ज नहीं हो पाता है। इन इलाकों में 10 लीटर पानी निकालना होता है, लेकिन इन जगहों में 100 लीटर पानी निकाला जा रहा है। हम जितना पानी निकाल रहे है, उतना रिचार्ज कैसे हो, इस पर भी ध्यान देना होगा, तभी ग्राउंड वाटर लेवल बेहतर होगा।”
(सचिन पराते, भू जल सर्वेक्षणविद, बिलासपुर संभाग )
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